नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा पक्ष की ओर से सोमवार को उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की। महासभा ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का विरोध किया है। हिंदू महासभा का कहना है कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में माना है कि विवादित भूमि के अंदरूनी हिस्से और बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का दावा मजबूत है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि नहीं दी जानी चाहिए।
बता दें कि बीते 09 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। यही नहीं न्यायालय ने सुन्नी वफ्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए किसी अन्य जगह पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश भी दिया था।
इस फैसले के विरुद्ध छह पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। मुस्लिम पक्षों ने भी सुप्रीम कोर्ट में उक्त फैसले को चुनौती दी है। महीने की शुरुआत में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसके बाद पीस पार्टी ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करके कहा था कि साल 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। लिहाजा सर्वोच्च अदालत को अपने फैसले पर फिरसे विचार करना चाहिए।
महासभा की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने यह याचिका दायर की। याचिका में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने के शीर्ष अदालत के नौ नवंबर के फैसले का विरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने बाबरी विध्वंस को गैरकानूनी बताने वाली टिप्पणी को हटाने की सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है।